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कब है दुर्गा अष्टमी और रामनवमी?,
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त,
नवरात्र पूजन विधि,
क्या ना करें नव रात्रि पूजा में
नव रात्रि अर्थात शक्ति स्वरूपी मां दुर्गा को समर्पित किए जाने वाले 9 दिन। वर्ष में चार बार आने वाले नव रात्रि में दो गुप्त नव रात्रि होते हैं और अन्य दो नव रात्रि में एक चैत्र नव रात्रि और दूसरे शारदीय नव रात्रि कहलाते हैं। शारदीय नव रात्रि शरद् ऋतु के आगमन का प्रतीक होते हैं।
अश्विन मास में आने के कारण शारदीय नव रात्रि को अश्विन नव रात्रि भी कहा जाता है।
नव रात्रि के 9 दिन में मां दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है। भक्त गण पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा से व्रत रखकर मां शक्ति की आराधना और पूजा अर्चना करते हैं। सभी भक्तों का यह विश्वास होता है कि मां उनके जीवन से हर प्रकार के कष्ट और संकटों को दूर करेंगी और सुख, समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य आदि का वरदान देगी।
शारदीय नव रात्रि इस साल 3 अक्तूबर वीरवार से प्रारंभ होकर 11 अक्तूबर शुक्रवार तक होंगे। उसके बाद 12 अक्तूबर शनिवार को विजयादशमी दशहरा का पर्व पूरे हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
नव रात्रि के नौ दिन पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा से मां दुर्गा के व्रत और आराधना करने पर भक्तों को विद्या, बुद्धि, यश, बल, वैभव, धन, संतान, राज्य और मोक्ष जैसे 9 तत्वों की प्राप्ति होती है।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर वीरवार प्रातः 6:15 से लेकर 7:22 तक होगा। इसके अतिरिक्त कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त में भी की जा सकती है, जो कि सुबह 11:46 से लेकर दोपहर 12:33 तक रहेगा।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
3 अक्तूबर 2024 दिन वीरवार
शुभ मुहूर्त : प्रातः 6:15 मिनट से लेकर 7:22 तक (अवधि 1 घंटा 7 मिनट)
अभिजित मुहूर्त : प्रातः 11:46 से 12:33 तक (अवधि 47 मिनट)
नवरात्र 2024
3 अक्टूबर 2024 वीरवार प्रति पदा मां शैलपुत्री पूजा
4 अक्टूबर 2024 शुक्रवार द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी पूजा
5 अक्टूबर 2024 शनिवार तृतीया मां चंद्रघंटा पूजा
6 अक्टूबर 2024 रविवार चतुर्थी मां कुष्मांडा पूजा
7 अक्टूबर 2024 सोमवार पंचमी माँ स्कंद माता पूजा
8 अक्टूबर 2024 मंगलवार षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
9 अक्टूबर 2024 बुधवार सप्तमी माँ काल रात्रि पूजा
10 अक्टूबर 2024 वीरवार महा अष्टमी मां महागौरी पूजा
11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार नवमी मां सिद्धिदात्री पूजा राम नवमी
12 अक्टूबर 2024 शनिवार विजयादशमी दशहरा
इस बार दुर्गा अष्टमी और रामनवमी के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांग के अनुसार अष्टमी 10 तारीख को तो कुछ के अनुसार 11 तारीख को है। इसी प्रकार से रामनवमी भी किसी पंचांग में 11 अक्टूबर की तो किसी में 12 अक्टूबर की है।
अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को 12:31 दोपहर से शुरू होकर 11 अक्टूबर 12:06 दोपहर तक होगी। महानवमी तिथि की शुरुआत 11 अक्टूबर दोपहर 12:06 से होकर 12 अक्टूबर सुबह 10:58 तक रहेगी। बात है आपकी आस्था, श्रद्धा और विश्वास की; दोनों ही दिन मां दुर्गा को समर्पित हैं। आप जिस दिन चाहे उस दिन दुर्गा अष्टमी और रामनवमी का पर्व मना सकते हैं।
नवरात्रि: मां दुर्गा के 9 स्वरूप-- क्या भोग अर्पित करें मां शक्ति को ताकि हो मनोवांछित फल की प्राप्ति
1. मां शैलपुत्री - घृत - अच्छे स्वास्थ्य तथा हर प्रकार की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए
2. मां ब्रह्मचारिणी -चीनी - दीर्घायु के लिए
3. मां चंद्रघंटा -दूध -हर कष्ट और दर्द से मुक्ति के लिए
4. मां कुष्मांडा - मालपुआ- कर्ज से मुक्ति और बुद्धि के विकास के लिए
5. मां स्कंदमाता - केला - परिवार में सुख शांति के लिए
6. मां कात्यायनी - शहद - धन समृद्धि के लिए
7. माँ काल रात्रि - गुड -हर मनोकामना पूर्ति के लिए
8. मां महागौरी -नारियल - अच्छी किस्मत, प्रसन्नता औऱ सन्तान संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए
9. मां सिद्धिदात्री- कोई भी अनाज, तिल - हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए
प्रातकाल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी को नमस्कार करें और फिर उनकी आराधना करनी चाहिए।
3. मां की प्रतिमा को लाल वस्त्र, चुनरी आदि पहनाएं और मां का श्रृंगार करें।
4. शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
5. कलश को गंगाजल से भर ले तथा लाल कपड़े से ढककर कलावे से बांध दें इसके पश्चात कलश के मुख पर आम की पत्तियां रखें तथा नारियल इन पत्तियों के ऊपर रख दें।
6. इसके साथ ही मिट्टी का बर्तन रखकर उसमें जौ बो दें तथा उन पर अष्टमी/नवमी तक पानी का छिड़काव करे।
7. मां के समक्ष जोत जगा कर , कपूर, धूप, अगरबत्ती, तथा भोग सामग्री रखकर मंत्रों पचार से पूजा करें।
8. प्रत्येक नवरात्रि को मां दुर्गा के स्वरूप से संबंधित मंत्र का जाप करें दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है।
9. अष्टमी /नवमी को कन्या पूजन करें जिसमें कन्याओं को विभिन्न प्रकार की भोजन सामग्री जैसे हलवा, पूरी, चने, खीर, मिठाई आदि खिलाएं तथा उन्हें विभिन्न उपहार आदि देकर विदा करें।
1. किसी भी प्रकार की गंदगी घर में रहने ना दे नवरात्रि प्रारंभ होने से पहले ही साफ सफाई कर लेनी चाहिए।
2. नवरात्रि के दौरान मांस मदिरा, तामसिक भोजन, तंबाकू आदि का बिल्कुल भी सेवन व प्रयोग ना करें इससे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।
3. नवरात्रि में गहरे रंग जैसे गहरे नीले, बैंगनी, काले या कालापन लिए हुए वस्त्र ना पहने।
4. यदि आपने नवरात्रि में अपने घर में अखंड ज्योति जगाई है तो घर बिल्कुल भी बंद करके ना जाए घर में किसी भी सदस्य को अवश्य होना चाहिए।
5. दुर्गा चालीसा, मंत्र या सप्तशती का पाठ करते समय किसी से बातचीत नहीं करनी चाहिए और ना ही इस बीच में उठना चाहिए।
6. पुराने सूखे पुष्पा या पुष्पों की माला को प्रतिमा अथवा मंदिर से हटाकर प्रतिदिन ताजे पुष्प अर्पित करने चाहिए। पुराने पुष्पों को कूड़ेदान में ना डाल कर किसी नदी या कुएं में प्रवाहित करें। गमले या बगिया की मिट्टी में दबाना वातावरण प्रदूषण से बचाव के लिए उत्तम उपाय हैं।
7. दुर्गा पूजा में दूर्वा, तुलसी और आंवले का प्रयोग वर्जित है।
8. गीले वस्त्रों में भी मां की पूजा नहीं करनी चाहिए।
9. महिलाएं खुले बालों के साथ दुर्गा पूजन ना करें।
10. सूतक में घट स्थापना व मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित माना गया है। ऐसी स्थिति होने पर किसी योग्य पंडित से पूजन करवाना ही अच्छा है।
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Sunil Mehtani is a renowed, Experienced Professioally qualified Vastu Expert & Astrologer. He has gained trust of many satisfied clients due to his expertise in the field of Vastu Shastra & Astrology
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