ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

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बृहस्पति ग्रह

ज्योतिष में ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान है।सात ग्रह- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र,शनि व दो छाया ग्रह राहु व केतु ग्रह

बृहस्पति ग्रह एक शुभ व सात्विक प्रकृति का ग्रह है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है।

यह ग्रह पुरुष जाति, आकाश तत्व, पूर्व दिशा का स्वामी ग्रह है।

गुरु जातक की कुंडली में, विद्या व बड़े भाई का प्रतिनिधित्व करता है। जातक की कुंडली में बृहस्पति पुत्र का कारक माना जाता है। जिस जातक की कुंडली में बृहस्पति नीच का होता है उसे पुत्र सुख प्राप्त नहीं होता या पुत्र होने पर भी उससे मनमुटाव रहता है।

धन व संतान की शुभ स्थिति के लिए जातक की कुंडली में बृहस्पति का अच्छा होना बहुत जरूरी है।

लग्न में बैठे ब्रहस्पति को बल प्राप्त होता है। कहा जाता है, कि यदि  बृहस्पति लग्न में विराजमान हो तो यह जातक की कुंडली के सवा लाख दोषों को दूर करता है।

बृहस्पति धनु व मीन इन दो राशियों का स्वामी माना जाता है। अतः यदि गुरु धनु अथवा मीन राशि में स्थित हो तो उसे स्वगृही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाएगा। धनु राशि के 1 से 13 अंश तक गुरु का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 14 से 30 अंश तक स्वक्षेत्री है कर्क राशि के पांच अंश तक गुरु उच्च का तथा मकर राशि के पांच अंश तक गुरु नीच का होता है।

 

शुभ बृहस्पति ग्रह का प्रभाव


बृहस्पति एक धीरे चलने वाला ग्रह है यह एक राशि को पार करने में लगभग 1 वर्ष लगाता है।

गुरु के सूर्य, चंद्र तथा मंगल के मित्र हैं शुक्र और बुध के शत्रु हैं तथा शनि के सम है।

जातक की कुंडली में उसकी धन की स्थिति गुरु के  शुभ अशुभ होने पर निर्भर करती है।

बृहस्पति अच्छा होने पर जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है। तथा तरक्की प्राप्त करता है।

लड़कियों की कुंडली में बृहस्पति अपने पति का कारक होता है। जिन लड़कियों की कुंडली में बृहस्पति अच्छा होता है उन्हें अपने पति का पूर्ण सुख प्राप्त होता है।

यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति अच्छा है। तो जातक अपने जीवन में अच्छा धन कमाता है और ऊंचाइयां को प्राप्त करता है। जातक को संतान का सुख प्राप्त होता है। क्योंकि बृहस्पति संतान का कारक भी होता है। जिस जातक की कुंडली में बृहस्पति अच्छा है वह अच्छा शिक्षक भी होता है।

यह तो बात हुई अच्छी बृहस्पति की यानी जब आपकी कुंडली में बृहस्पति उच्च राशि का हो, स्वगृही हो, शुभ ग्रहों से दृष्ट होकर केंद्र या त्रिकोण से संबंध बनाए ऐसी अवस्था में आपको बृहस्पति के अच्छे फल प्राप्त होंगे।

अशुभ बृहस्पति ग्रह का प्रभाव

जब बृहस्पति आपको अशुभ फल प्रदान करता है यानि बृहस्पति आपकी कुंडली में नीच का है, अशुभ गृहों से दृष्ट होकर ६, ८ व 12 भावों से संबंध बनाए, तब हमें बृहस्पति के अशुभ फल प्राप्त होता है।
 

अशुभ बृहस्पति का प्रभाव: यदि जातक की कुंडली में उसका बृहस्पति खराब होता है, तो सबसे पहले तो उन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता। उनकी याददाश्त इतनी कमजोर होती है, कि जो कुछ याद करता है वह अधिक समय तक याद नहीं रख पाते और ऐसे बच्चों में विवेक की कमी होती है। वह अपने बड़ों का आदर नहीं करते इसके अलावा यदि बृहस्पति कुंडली में खराब होता है तो जातक तरक्की तो करता है। परंतु अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद एकदम नीचे आ जाता है।


जिन लड़कियों की कुंडली में बृहस्पति खराब है। उनकी शादी में दिक्कत आती है। उनके पति से भी उनका तालमेल कम बैठता है। यदि बच्चों की कुंडली में बृहस्पति खराब होता है। तो उन्हें अपने दादा दादी का सुख लंबे समय तक नहीं मिलता। खराब बृहस्पति वाले जातक को धन कमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। जातक को संतान सुख में कमी आती है।


यदि आप भी बृहस्पति से संबंधित कुछ परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो, आपको उपाय करने की आवश्यकता है।


बृहस्पति की अशुभता दूर करने के कुछ उपाय


1.    यदि बृहस्पति आपकी कुंडली में खराब फल प्रदान करता है ।तो ऐसे जातक को नाभि, जुबान, माथे पर केसर का तिलक लगाना चाहिए ।
2.    आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो 12 साबुत हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बांधकर जहां पर बैठकर आपका बच्चा पढ़ाई करता है। वहां रखे व 21 दिन बाद पोटली बदले और पुरानी पोटली को बहते पानी में बहा दे ।
3.    यदि जातक को धन से संबंधित तरक्की में कोई रुकावट आती है तो प्रतिदिन हल्दी की माला से 108 बार ॐ का जाप करें।

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