मां ब्रह्मचारिणी

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  • 4th Oct 2024

मां ब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी: देती है स्मरण शक्ति और दीर्घायु का वरदान

 

नव रात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी भी कहा जाता है। मां भगवती ने अपने इसी स्वरूप में अत्यंत घोर तप का आचरण किया था, इसी कारण मां दुर्गा को तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।
पुराणों के अनुसार मां दुर्गा ने अपने इसी स्वरूप में भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। अत्यंत कठोर तप करने से तीनों लोकों में उनका तेज फैल गया। तब ब्रह्मा जी ने ही आकाशवाणी से मां ब्रह्मचारिणी को भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने का वरदान दिया था।
एक तपस्विनी की भांति मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल तथा दूसरे में जप की माला है।
अपने इस स्वरूप में माता किसी भी वाहन पर सवार नहीं है।
मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की शक्ति का स्थान प्राणी के स्वाधीष्ठआनचक्र में है। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने पर भक्त जनों को सत् , चित्त,  स्मरण शक्ति के साथ-साथ दीर्घायु का वरदान भी प्राप्त होता है।

 

क्या अर्पित करें मां ब्रह्मचारिणी को?

मां ब्रह्मचारिणी को कमल और गुड़हल के फूल अत्यंत प्रिय हैं। नव रात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए इन फूलों के साथ-साथ भोग के रूप में चीनी और मिश्री अर्पित करें।

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