ज्योतिष में केतु ग्रह

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केतु ग्रह: ज्योतिष में ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान है।सात ग्रह- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र,शनि व दो छाया ग्रह राहु व केतु ग्रह


यह एक कृष्ण वर्ण तथा क्रूर ग्रह है। इसके द्वारा नाक, हाथ पांव, कष्ट एवं चर्मरोग आदि का विचार किया जाता है। केतु ग्रह का फलित करना बहुत ही मुश्किल है। केतु के अशुभ प्रभाव भी होते है और शुभ प्रभाव भी होते है यह  गुप्त शक्ति बल, कठिन कर्म, भय की कमी का कारक है।
राहु की तरह इसकी की भी अपनी कोई राशि नहीं होती है परंतु कुछ विद्वानों ने इसको मिथुन राशि का स्वामी माना है। यदि केतु ग्रह मिथुन राशि में स्थित है तो उसे स्वगृही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है। केतु ग्रह जिस गृह के साथ युति व दृष्टि मे होता है उसी के अनुसार अपना फल प्रदान करता है।
इसको अशुभ के माना गया है परंतु कुछ स्थितियो में केतु शुभ फल भी प्रदान करता है।


केतु छाया ग्रह


यह छाया ग्रह माना जाता है।


यह हमेशा दृष्टि व युति से प्रभावित होकर ही रिजल्ट देता है।

केतु ग्रह यदि शुभ ग्रहों के प्रभाव में होता है तो अच्छा रिजल्ट देता है। यदि अशुभ ग्रहों के प्रभाव में होता है तो खराब रिजल्ट देता है।


शुभ केतु ग्रह के प्रभाव


केतु ग्रह का फलित करना बहुत ही मुश्किल है।यदि केतु 3,5,6,9,12 भावो में बैठा हो तो आपका केतु काफी हद तक अच्छा है। यदि यह गुरु के साथ बैठा हो तो प्रबल राजयोग कारक बनाता है। केतु का फल भी अधिकतर युति और दृष्टि से प्रभावित होता है। मंगल के साथ केतु साहसी बनाता है। केतु अच्छा हो तो अपनी दशा अंतर्दशा में जातक को ऊंचाइयों पर ले जाता है। यदि जातक की कुंडली में केतु अच्छा है। तो जातक को पैरों में मजबूती देता है। उसे पैरों से संबंधित कोई रोग नहीं होता। क्योंकि केतु जातक की कुंडली में पैरों का कारक माना जाता है। अच्छा केतु हो तो जातक को अपने ननिहाल पक्ष का पूरा सहयोग मिलता है अच्छा केतु जातक के अंदर पॉजिटिव सोच को बढ़ाता है।


केतु के अशुभ प्रभाव

 

परंतु यदि केतु खराब ग्रहों के प्रभाव में हो तो बहुत परेशानियां देता है। हमेशा अचानक से कोई न कोई समस्या खड़ी करता है। जातक भविष्य के बारे में सोच कर जो भी फैसला लेता है। वह फैसला हमेशा गलत सिद्ध होता है। उसके द्वारा बनाई गई योजनाएं विफल रहती है। खराब केतु वाले जातक को अपने पैरों के दर्द से संबंधित कोई न कोई समस्या केतु की महादशा में बनी रहती है। खराब केतु वाले जातक को अपने मामा के नाना का ज्यादा सुख प्राप्त नहीं होता। मामा नाना होने के बावजूद भी उन से तालमेल नहीं बैठता। केतु, खराब मंगल के साथ युति बनाए और पांचवे भाव से संबंधित हो तो स्त्रियों की कुंडली में गर्भपात का कारण बनता है।


इन सभी समस्याओं को देखते हुए हमें केतु के उपाय करना बहुत आवश्यक है। ताकि इन का निवारण किया जासके।


केतु ग्रह से संबंधित उपाय


1.    ४३ दिन तक रोजाना घर के बाहर के काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।

2.    केतु की दशा के अंतर्गत यदि व्यवहायिक जीवन में ज्यादा परेशानी हो रही है। तो लाल तिकोना झंडा मंगलवार वाले दिन हनुमान मंदिर में लगाएं।
3.    रोजाना पक्षियों को सतनाजा डालें।
4.    सफेद काला कंबल या सफेद काला कपड़ा किसी भी गरीब व्यक्ति को दान करें।


Acharya Rakhi