महाशिवरात्रि

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  • 25th Feb 2025

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि 2025

 

महाशिवरात्रि हिंदुओं के पवित्र त्योहारों में से एक धार्मिक त्योहार है। यह त्यौहार भगवान भोलेनाथ के प्रति विश्वास और आस्था को समर्पित है। यह पर्व फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बड़ी धूमधाम व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

शिव पुराण के अनुसार इसी पावन तिथि की रात्रि को भगवान शिव के निराकार स्वरूप के प्रतीक शिवलिंग की पूजा सर्वप्रथम ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने की थी। ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने पीकर समस्त ब्रह्मांड की रक्षा की थी। विष को अपने कंठ में धारण करने के कारण भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा।

 

हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था। इन सभी मान्यताओं के कारण इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि है न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि यह मनुष्य मात्र की व्यक्तिगत, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का दिन भी है। इस दिन भक्तगण उपवास रखकर भगवान भोलेनाथ से अपने पापों क़ी मुक्ति लिए तथा शुद्धि की ओर अग्रसर होने के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माँ पार्वतीकी पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना कर साधक के मन, शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है जो कि हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और विचारों को दूर करने में सहायक है।

भगवान भोलेनाथ और उनके पूरे परिवार की श्रद्धापूर्वक आराधना करने से ना केवल सुख समृद्धि, आरोग्य, पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है बल्कि सभी प्रकार की ग्रह पीड़ाओं का समाधान भी होता है।

 

बन रहे हैं कुछ दुर्लभ योग इस महाशिवरात्रि पर


इस बार महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ संयोगो का एक साथ समावेश हो रहा है। महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, चंद्रमा और शनि का विशेष त्रि ग्रहीयोग बन रहा है। यह योग सफलता और समृध्दि का प्रतीक है। महाशिवरात्रि के दिन शिव योग और  सिद्धि योग का भी शुभ संयोग होने के साथ साथ अमृत सिद्धि योग भी निर्मित हो रहा है। इन सभी योगों में किए जाने वाले कार्य का कई गुना लाभ और फल मिलता है। इसके अलावा Vastu Expert & Astrologer Sunil Mehtaniके अनुसार इस दिन श्रवण नक्षत्र भी रहेगा जोकि शाम 5 बजकर 8 मिनट तक प्रभावी रहेगा। जिससे इस महाशिवरात्रि पर की गई पूजा को अत्यंत शुभकारी माना जा रहा है। 

 

कब है महाशिवरात्रि ?

इस बार कई पंचांगों में भेद है कि चतुर्दशी तिथि दो दिन पड़ रही है, जिसके कारण महाशिवरात्रि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि महाशिवरात्रि का पवित्र त्योहार कब मनाना ज़्यादा शुभ और मंगलकारी होगा? ऐसा माना जाता है कि महादेव की पूजा, आराधना और मंत्रों का जाप और जलाभिषेक विशेष रूप से प्रदोष काल में उच्चतम है। त्रयोदशी तिथि का अंत और चतुर्दशी तिथि के आरंभ का संधिकाल ही इनकी परम अवधि है। 

वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 के फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फ़रवरी दिन बुधवार सुबह 11:08 पर शुरू होकर 27 फ़रवरी दिन वीरवार सुबह 8:54 पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि पर भगवान महादेव की पूजा और जलाभिषेक रात्रि प्रदोष काल में करने का विशेष विधान हैअतः 26 फ़रवरी को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाना विशेष रूप से फलदायी है।

महाशिवरात्रि पर पूरे दिन ही भोलेनाथ की उनके परिवार सहित पूजा करना शुभ होता है। परन्तु शास्त्रों में महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि निशीथ काल में करने का विशेष विधान है।

 

महाशिवरात्रि पर सुबह-रात्रि पूजा मुहूर्त

 

महाशिवरात्रि पर सूर्योदय से व्रत की शुरुआत और इसका समापन अगले दिन किया जाता है। इस दिन कई लोग रात्रि के चारों प्रहर में शिव का अभिषेक करते हैं।  वहीं कुछ लोग सुबह-शाम की पूजा के बाद व्रत पारण कर लेते हैं। 

महाशिवरात्रि 2025 पूजा मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक शुभ मुहूर्त : 26 फ़रवरी बुधवार 

बह 6:47 से 9:42 तक 
सुबह 11:06 से 12:35 तक 
दोपहर 3:25 से शाम 6:08 तक 


चार प्रहर पूजा मुहूर्त
प्रथम प्रहर पूजा समय - 26 फरवरी को शाम 06:19 से रात 09:26  तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय - 26 फरवरी को रात 09:26 से  रात 12:34 तक
तृतीय प्रहर पूजा समय - 26 फरवरी की रात 12:34 से 27 फरवरी सुबह 03:41 तक
चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी सुबह 03:41 से सुबह 06:44 तक 

 

महाशिवरात्रि व्रत की पूजन विधि

 

महाशिवरात्रि पर्व के दिन पूजन के साथ-साथ व्रत का भी विशेष महत्व है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार  एक बार जब माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से पूछा कि ऐसा कौन सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत है जिससे सभी प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर पाएंगे। इसके उत्तर में  भगवान शिव ने पार्वती जी को महाशिवरात्रि के व्रत के विषय में बताया। यह व्रत रखने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को वैसे तो निराहार रहकर व्रत करना चाहिए परंतु यदि ऐसा करना संभव ना हो तो यह व्रत फलाहार के साथ भी किया जा सकता है। परंतु इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।

अन्य व्रतों की भांति महाशिवरात्रि का पूजन भी प्रातः काल ही आरंभ किया जाना चाहिए जिसके लिए सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त हो जाना चाहिए उसके बाद किसी भी शिवालय या शिव मंदिर में जाकर सर्वप्रथम प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। भगवान गणेश की पूजा के पश्चात ही भगवान शिव का जलाभिषेक और दुग्ध अभिषेक करना चाहिए।

 

जल अभिषेक में किन चीजों का प्रयोग करें और किन चीजों का नहीं

  • महाशिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत कल्याणकारी है।
  • भगवान शिव को जलाभिषेक और दुग्ध अभिषेक करते समय कुछ विशेष वस्तुओं को अर्पित करना अति उत्तम माना जाता है।
  • भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, बेर, ईख का रस, भांग,कपूर,चंदन, चावल(अक्षत),रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रिय है। अतः इन वस्तुओं को भगवान आशुतोष को अर्पित करने से वे अवश्य प्रसन्न होते हैं।
  • भोग के पश्चात धूप-दीप आदि जलाकर पूजा अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिव का मूल मंत्र 'ओम नमः शिवाय', आरती आदि करनी चाहिए। शिव चालीसा करना भी उत्तम है। सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक बात तो यह है कि आप महाशिवरात्रि की पूजा पूरी आस्था श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
  • शिवलिंग पर कभी भी लाल रंग के फूल केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाएं।
  • इसके अतिरिकत सिंदूर तथा तुलसी दल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करने चाहिए।
  • शिवलिंग पर भूल से भी शंख से जल नहीं चढ़ाए और ना ही शंख बजाना चाहिए।

 

किस मंत्र का जाप करने से होंगे भगवान शिव प्रसन्न?

 

त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु शिव में भगवान शिव को सबसे अधिक करुणामई दानी और भोलेनाथ कहा जाता है इसका कारण यह है कि भगवान शिव केवल श्रद्धा पूर्वक पूर्ण आस्था से की गई भक्ति मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर विचरण करते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मूल मंत्र ओम नमः शिवाय है इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य अपने सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त होकर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करता है

इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी आपको हर प्रकार के संकट बीमारी और सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है।

|| ओम त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव वंदना मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। ||

इसके अतिरिक्‍त श्री शिव रुद्राष्टकम स्‍त्रोत्र का पाठ करना और सुनना भी अत्‍यंत कल्‍याणकारी है 

 

किस मनो कामना हेतु क्या अर्पित/अभिषेक करें भगवान भोलेनाथ को?

 

सुख शांति के लिए - दुग्ध से

धन के लिए - दही से

संतान प्राप्ति के लिए - घृत से

सर्व दोष निवारण के लिए - गंगा जल से

स्वास्थ्य कामना के लिए - शहद से

हर प्रकार की मनोकामना के लिए - बेल पत्र से



राशि अनुसार कैसे करें भगवान शिव की पूजा?

 

इस बार महाशिवरात्रि तीन राशि वाले जातकों के लिए विशेष रुप से शुभ फलदायी है। महाशिवरात्रि के पवित्र दिन पर मेष राशि, मिथुन राशि और सिंह राशि वाले जातकों पर भगवान भोलेनाथ अपनी विशेष कृपा बरसाएंगे। व्यापारी जातकों को अपनी योजना से अच्छा परिणाम प्राप्त होगा। आर्थिक रूप से फ़ायदा प्राप्त होगा। नौकरीपेशा जातकों की पदोन्नति होने के साथ साथ वेतन वृद्धि की संभावना भी है। वैवाहिक जीवन में लंबे समय से चले आ रहे मनमुटाव और कलह क्लेश दूर होंगे।

 

राशि के अनुसार माँ पार्वती और भगवान भोलेनाथ का अभिषेक और  पूजन 

मेष राशि  गुड़ के जल से अभिषेक करें और लाल पेड़ा, लाल चंदन और कनेर के फूल चढ़ाए।

वृष राशि  दही से अभिषेक करें और शक्कर, चावल, सफ़ेद चंदन और सफ़ेद फूल अर्पित करें।

मिथुन राशि   गन्ने के रस से अभिषेक करें और मूंग, दूर्वा और कुशा चढ़ाएं।

कर्क राशि घी से अभिषेक करें और चावल,कच्चा दूध, सफ़ेद आर्क और शंख पुष्पी अर्पित करें।

सिंह राशि   गुड़ के जल से अभिषेक करें। गुड़-चावल की खीर और मदार के फूल अर्पित करें।

कन्या राशि   गन्ने के रस से अभिषेक करें और भांग, दूब, मूंग और पान चढ़ाएं।

तुला राशि   सुगंधित तेल या इत्र से अभिषेक करें और दही,शहद, श्रीखंड और सफ़ेद पुष्प अर्पित करें।

वृश्चिक राशि पंचामृत से अभिषेक करें। कोई भी लाल रंग की मिठाई और लाल ही फूल चढ़ाए।

धनु राशि   हल्दी वाले दूध से अभिषेक करें। बेसन की/पीले रंग या केसर की मिठाई और गेंदे के फूल अर्पित करें।

मकर राशि नारियल पानी से अभिषेक करें। उड़द की मिठाई के साथ नीलकमल के फूल चढ़ाएं।

कुंभ राशि तिल के तेल से अभिषेक करें। उड़द से बने लड्डू और शमी के फूल चढ़ाएं।

मीन राशि केसर वाले दूध से अभिषेक करें। दही, चावल, पीली सरसों और नाग केसर अर्पित करें।
 

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