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मां महागौरी : देती है अक्षय पुण्य तथा अनुपम प्रसन्नता का वरदान
नव रात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महा गौरी की पूजा और आराधना की जाती है। मां महा गौरी का स्वरूप चंद्र या श्वेत शंख की तरह निर्मल और गौर वर्ण लिए हुए हैं।
कहते हैं मां दुर्गा ने जब पार्वती रूप में भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपस्या की तब उनका शरीर बहुत ही कमजोर और वर्ण काला पड़ गया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भोलेनाथ ने जटा से निकलती हुई पवित्र गंग धारा को मां पर डाला। तब मां दुर्गा अत्यंत कांतिमान और गौर वर्ण की हो गई। तभी से मां के इस स्वरूप का नाम महा गौरी पड़ गया।
मां दुर्गा के इस स्वरूप के समस्त वस्त्र आभूषण भी सफेद हैं। मां का वाहन गोर रंग लिए हुए बैल है। मां गौरी की चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक हाथ अभय मुद्रा में और दूसरा हाथ वर मुद्रा में है जो सभी भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करता है।
मां की एक हाथ में डमरु और एक हाथ में त्रिशूल है। मां गौरी का यह शक्ति स्वरूप भक्त जनों को अमोघ पुण्य फल प्रदान करने वाला है।
मां महा गौरी मनुष्य की हर प्रकार की असत प्रवृत्तियों का विनाश करके मनुष्य के मन को सत् की ओर प्रेरित करती हैं। मां महा गौरी की असीम कृपा से साधक पवित्र और अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है और उसे कई प्रकार की अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
नव रात्रि के आठवें दिन मां महा गौरी की आराधना कर नारियल का भोग लगाने से साधकों को असीम पुण्य तथा प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। हर प्रकार के कष्ट और दुख दूर होते हैं।
11th Oct 2024
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Sunil Mehtani is a renowed, Experienced Professioally qualified Vastu Expert & Astrologer. He has gained trust of many satisfied clients due to his expertise in the field of Vastu Shastra & Astrology
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