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मां कात्यायनी : देती है सफलता और सुख समृद्धि का वरदान
नव रात्रि के छठे दिन मां भगवती के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा आराधना की जाती है। मां का वर्ण सुनहरा और चमकीला है। माता चार भुजाओं के साथ कई प्रकार के रत्न भूषण से अलंकृत है।
मां के रूप का प्रकाश और तेज विभिन्न प्रकार की इंद्रधनुषी छटा बिखेरता हुआ प्रतीत होता है। मां कात्यायनी का वाहन खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में सिंह है।
मां कात्यायनी के स्वरूप में उनकी एक ओर की दोनों भुजाएं क्रमशः अभय देने वाली मुद्रा में और वर देने वाली मुद्रा में है। दूसरी ओर की एक भुजा में मां ने खड़क धरण की है और दूसरी भुजा में कमल का फूल पकड़ा हुआ है।
प्राणियों में माता कात्यायनी का निवास आज्ञा चक्र में होता है और सभी साधक इस दिन अपना ध्यान आज्ञा चक्र में ही लगते हैं। पूर्ण समर्पण रखते हुए मां कात्यायनी की उपासना करने वाला भक्त सभी प्रकार के रोग, शोक, संताप और भय से मुक्त हो जाता है।
माता कात्यायनी अपने भक्तों को सुख और स्मृति का वरदान देती हैं और लक्ष्मी के रूप में उनके घर में निवास भी करती हैं।
क्या अर्पित करें माता कात्यायनी को?
नव रात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए। माता कात्यायनी को काया की रक्षक कहा जाता है। प्रसन्न होने पर मां अपने भक्त को सुंदर रूप और यौवन प्रदान भी करती हैं।
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Sunil Mehtani is a renowed, Experienced Professioally qualified Vastu Expert & Astrologer. He has gained trust of many satisfied clients due to his expertise in the field of Vastu Shastra & Astrology
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