मां कुष्मांडा

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  • 6th Oct 2024

मां कुष्मांडा

मां कुष्मांडा : देती है बुद्धि का वरदान और कर्ज से मुक्ति

 

नव रात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। अपनी मंद मंद और सौम्य मुस्कान मात्र से अंड को उत्पन्न करने वाली होने के कारण ही माँ दुर्गा के इस स्वरूप को कूष्मांडा कहा जाता है।

सृष्टि का अस्तित्व होने से पहले मां कुष्मांडा ने मंद मुस्कान से अंड की उत्पत्ति की जो की बीज रूप में ब्रह्म तत्व के मिलने से ब्रह्मांड बना। इस प्रकार यही मां कुष्मांडा का अजन्मा तथा आदिशक्ति रूप है।

प्राणी मात्र में मां कुष्मांडा का स्थान अनाहत चक्र में माना जाता है। अतः भक्तजन नव रात्रि के चौथे दिन इसी चक्र में ध्यान लगाते हैं। वास्तव में माँ कूष्मांडा का निवास स्थान सूर्य लोक में है। इसी कारणवश ही माँ के स्वरूप का तेज भी सूर्य के समान है और उसका प्रकाश दसों दिशाओं में फैला हुआ है।

महा कुष्मांडा का वाहन बाघ है तथा उनकी अष्ट भुजाएं हैं। इन भुजाओं में क्रमशः कमंडल, धनुष, तीर, कमल का फूल,अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला है।

 

क्या अर्पित करें मां कुष्मांडा को

 

मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए तथा बुद्धि का वरदान प्राप्त करने और कर्ज मुक्ति हेतु मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए।

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