ज्योतिष में शनि ग्रह

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ज्योतिष में शनि ग्रह: सात ग्रह- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि हैं। दो छाया ग्रह राहु और केतु है। अलग-अलग रूप में हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।

शनि ग्रह नपुंसक जाति, कृष्ण वर्ण, पश्चिम दिशा का स्वामी, वायु तत्व तथा वात प्रकृति का ग्रह हैं।

इसके द्वारा आयु, शारीरिक बल, बीमारी, विपत्ति मोक्ष, नौकरी आदि का विचार किया जाता है।

 

शनि एक पाप ग्रह

यह एक पाप ग्रह माना जाता है। परंतु इसका अंतिम परिणाम सुखद होता है।

यह मनुष्य को दुर्भाग्य तथा संकटों के चक्कर में डाल कर अंत मे उसे शुद्ध तथा सात्विक बना देता है।

जातक की कुंडली में शनि को बड़े बुजुर्गो व चाचा का कारक माना जाता है।

शनि को सप्तम स्थान में बल प्राप्त होता है।

शनि ग्रह मकर तथा कुंभ राशि का स्वामी है।

अतः यदि शनि मकर अथवा कुंभ राशि में स्थित होता है तो उसे स्वगृही अथवा स्वक्षेत्रीय कहा जाता है।

परंतु कुंभ राशि में एक से बीस तक शनि मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्री है तुला राशि के 20 अंश तक शनि उच्च का तथा मेष राशि के 20 अंश तक शनि नीच का माना जाता है।

जातक की कुंडली मे शनि यदि नीच का होता है तो जातक को अपने घर के बड़े बुजुर्ग लोगों का सहारा नहीं मिलता और अधिकतर कोई-न-कोई बीमारी सताती रहती है

शनि ग्रह जातक की कुंडली में जोड़ों का प्रतिनिधित्व करता है

शनि खराब स्थिति में होने पर जातक को हड्डियों में या जोड़ों मे परेशानी उत्पन्न करता है

शनि ग्रह लंबी बीमारी का कारक है शनि की दशा आने पर जातक किसी लंबी बीमारी से ग्रस्त हो सकताहै।

 

शनि एक अशुभ ग्रह


शनि ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है ।

यदि ग्रहों की संबंधों की दृष्टि से देखा जाए तो शनि के बुध तथा शुक्र से मित्र तथा सूर्य, चंद्र, मंगल शत्रु व गुरु ग्रह के साथ शनि का सम संबंध होता है। यह एक बहुत ही धीरे चलने वाला ग्रह है।

यह एक राशि को पार करने में लगभग ढाई साल लगाता है।

शनि के द्वारा ही जातक की कुंडली में साढ़ेसाती का निर्माण होता है।

शनि ग्रह है न्याय का प्रतीक
शनि ग्रह प्रतीक है न्याय का। यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह कितना भी खराब क्यों ना हो पर यदि शनि अच्छा है तो यदि आप मेहनत करते हैं तो जिंदगी में तरक्की जरूर करते हैं। खासतौर पर ३६ वर्ष की आयु के बाद धन, दौलत, वैभव, मकान का पूरा-पूरा सुख आपको मिलता है।

शुभ शनि का प्रभाव
जिन लोगों का शनि अच्छा होता है। उनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती का खराब  प्रभाव नहीं होता।

शनि कुंडली के सभी ग्रहो का संतुलन बनाता है।

शनि यदि अच्छा है तो आपके शरीर की हड्डियो के जोड़ लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे।

शनि किसी जातक की कुंडली में उसके अधीनस्थ काम करने वाले नौकर-चाकरों या मजदूरों का कारक होता है। यदि शनि आपकी कुंडली में अच्छा है तो  आपको इनका पूरा सुख प्राप्त होता है

यदि कुंडली में अच्छा है। तो आपका  कार्य का संबंध जनता से हो सकता है।क्योंकि शनि जनता का प्रबल कारक है।

शनि अच्छा होने से जातक को अपने मकान का सुख प्राप्त होता है।

शनि अच्छा होने पर जातक के कामों में कभी रुकावट नहीं आती।

यह तो लक्षण है अच्छे शनि के यानी आपकी कुंडली में शनि उच्च का हो या स्वगृही  हो, शुभ ग्रहों से  दृष्ट होकर केंद्र व त्रिकोण से संबंध बनाए। तब शनि के अच्छे फल प्राप्त होते हैं।

 

अशुभ शनि का प्रभाव
यदि जातक की कुंडली में शनि अशुभ अवस्था में है। तो शनि के खराब फल प्राप्त होते हैं।

शनि तब  खराब फल प्रदान करता है जब जातक दूसरों के साथ अन्याय करता है। दूसरों के हक का पैसा मारता है, मजदूरों के साथ बुरा व्यवहार करता है  तब शनि खराब फल  प्रदान करता है।

शनि न्याय का प्रबल कारक है। जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करेंगे ।वैसा ही फल हमें प्राप्त होगा।

जिन जातकों की कुंडली में शनि बहुत खराब होता है। उनको आजीवन अपने मकान का सुख प्राप्त नहीं होता।

जब शनि खराब होता है। तो हड्डी के जोड़ों में दर्द देता है। तथा जातक को अस्वस्थ बनाता है।

शनि खराब होने की वजह से यदि जातक को कोई बीमारी, लग गई हो तो लंबे समय तक पीछा नहीं छोड़ती।

जब शनि खराब होता है तो जातक के व्यवसाय पर काम कर रहे नौकर-चाकर, वर्कर ज्यादा समय तक नहीं रूकते तथा बीच में ही काम छोड़कर भाग जाते हैं। जिसकी वजह से कार्य क्षेत्र में बहुत रुकावट आती है।


यदि आपकी कुंडली में शनि बहुत खराब है। तो अन्य सभी ग्रह अच्छे होने पर भी आपका अच्छा फल प्राप्त नहीं होता।  क्योंकि शनि सभी ग्रहों का तालमेल बिठाता है। यदि आप लोगों में से किसी जातक को शनि से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तो शनिदेव से संबंधित उपायों को करने की आवश्यकता है।

 

शनि ग्रह से संबंधित उपाय


1.    शनिवार वाले दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाएं।

2.    उड़द और काले तिल का दान करें।

3.    यदि शनि आपकी कुंडली में ज्यादा परेशानी दे रहा है या शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान आपको ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो महीने में एक बार 10 मजदूरों को भोजन कराएं।

4.    शनि की अशुभता से बचने के लिए जातक को झूठ बोलने से बचना चाहिए।

5.    कभी भी किसी के साथ अन्याय ना करें व किसी से ईर्ष्या ना करें तो शनि हमेशा  ही शुभ फल प्रदान करता है।

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