नवग्रह ग्रह- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि हैं। दो छाया ग्रह राहु और केतु है। अलग-अलग रूप में हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।
नवग्रह ग्रह शुक्र ग्रह: शुक्र ग्रह स्त्री जाति, श्याम गौर वर्ण, दक्षिण पूर्व दिशा का स्वामी, कार्यकुशल तथा जलीय तत्व वाला ग्रह है।
यह कफ, वीर्य आदि का कारक माना जाता है इसके प्रभाव से जातक के शरीर का रंग गेहुआ होता है।
यह काव्य, संगीत, वस्त्राभूषण, वाहन, गृहस्थ सुख, स्त्री, पति-पत्नी आदि का कारक है।
इसके द्वारा सांसारिक सुख संबंधी विचार किया जाता है।
शुक्र ग्रह वृष तथा तुला राशि का स्वामी है। अतः यदि शुक्र वृष अथवा तुला राशि में स्थित है तो इसे स्वग्रही कहा जाता है।
तुला राशि के 1 डिग्री से 10 डिग्री तक शुक्र मूल त्रिकोण होता है। 11 डिग्री से 30 डिग्री तक उसका स्वक्षेत्र है। मीन राशि के 27 डिग्री पर शुक्र ग्रह उच्च का तथा कन्या राशि के 27 अंश पर शुक्र नीच का होता है।
यह एक शीघ्रगामी ग्रह है इसे एक राशि को पार करने में लगभग एक महीना लगता है।
शुक्र को चतुर्थ भाव मे बल प्राप्त होता है। यदि नैसर्गिक मित्रता व शत्रुता की बात करें तो शुक्र ग्रह के बुध तथा शनि मित्र हैं और सूर्य और चंद्र शत्रु हैं मंगल एवं गुरु से शुक्र सम संबंध बनाता है।
शुक्र को पत्नी का कारक माना जाता है जिस जातक की कुंडली में शुक्र नीच का होता है या 6, 8, 12 भाव से संबंध बनाता है तो उस जातक की कुंडली में ग्रहस्थ सुख की कमी होती है।
शुक्र का शुभ स्थिति में होकर चतुर्थ भाव से संबंध बनाना जातक के लिए वाहन सुख को दिखाता है। शुक्र एक शुभ ग्रह माना जाता है।
शुक्र ग्रह आपके जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है। उसके अच्छे और बुरे फल क्या है। तथा शुक्र के खराब होने से बचने के लिए जातक को क्या उपाय करने चाहिए। हमारी कुंडली में शुक्र कारक होता है सुंदरता का, धन का, फिल्म लाइन का और पत्नी का। यदि शुक्र आपकी कुंडली में अच्छा है तो आपको इन सभी चीजों का सुख प्राप्त होगा।
अच्छे शुक्र वाले जातक सुंदर होते हैं। उनका व्यक्तित्व लुभाने वाला होता है।
जिस जातक की कुंडली में शुक्र अच्छी स्थिति में बैठा होता है। उन लोगों की रुचि रचनात्मक कार्यों में होती है।
ऐसे लोग बहुत अच्छे कलाकार होते हैं। वह कला के क्षेत्र में सफलता हासिल करते हैं।
शुक्र यदि कुंडली में अच्छा है तो जातक सुख समृद्धि से परिपूर्ण होता है। और वाहनों का भी पूर्ण सुख प्राप्त करता है।
शुक्र अच्छे वाले जातकों को अपनी पत्नी का पूर्ण सुख प्राप्त होता है। उनका ग्रहस्थ जीवन सुखी होता है। ऐसे लोगों को बन सवरकर रहना पसंद होता है। यह सब परिणाम तो तब प्राप्त होते हैं जब आपकी कुंडली में शुक्र अच्छा हो यानी उच्च का हो, स्वगृही हो, शुभ ग्रहों से दृष्ट होकर केंद्र व त्रिकोण से संबंध बनाएं।
अब हम बात करते हैं। यदि शुक्र ख़राब हो तो आपको क्या फल प्रदान करेगा। यानी यदि आपकी कुंडली में शुक्र नीच का है अशुभ ग्रहों से दृष्ट है। या ६,८,12 भाव से संबंधित है। तो आपको इसके कौन कौन से अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। तथा इससे बचने के लिए आपको क्या उपाय करने चाहिए।
यदि जातक की कुंडली में शुक्र खराब है। तो सबसे पहले जातक के चरित्र को प्रभावित करता है। शुक्र खराब वाले जातक का चरित्र खराब होता है।
जातक किसी भी तरह की गलत लत का शिकार हो सकता है ।जिससे समाज में बदनामी होती है।
जिन जातकों का शुक्र खराब होता है। उनकी पत्नी के स्वास्थ्य में कोई ना कोई कमी रहती है। या पत्नी के साथ तालमेल नहीं बनता।
यह सब लक्षण शुक्र की खराबी के हैं ऐसे में आपको शुक्र के उपाय की आवश्यकता है। महिलाओं की कुंडली में शुक्र का खराब होना उसको चरित्रहीन बनाता है ऐसी स्त्रियों के मल्टीपल रिलेशन होते हैं यह बहुत ही खराब योग हैं यदि आप शुक्र से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं। तो आपको उपाय करना जरूरी है।
1. यदि आपका बच्चा गलत राह पर चल रहा है तो शुक्रवार वाले दिन मंदिर में दूध और मिश्री का दान करें स्फटिक की माला हाथ में या गले में धारण करें।
2. प्रतिमाह आने वाली अष्टमी को नौ कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन में खीर अवश्य बाटे।
3. वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए हर शुक्रवार को गाय को चारा खिलाएं और चरित्रवान बने रहे।
4. खराब शुक्र की स्थिति में जातक को कभी भी हीरा धारण नहीं करना चाहिए।
5. ऐसे जातक को कभी भी अपनी पत्नी का अपमान नहीं करना चाहिए ना ही उसके ऊपर हाथ उठाना चाहिए। ऐसा करने से शुक्र की अशुभता में बढ़ोत्तरी होती है।
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