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सोमवती अमावस्या 20 जुलाई 2020: जैसा कि हम सभी जानते हैं इस वर्ष के चतुर्मास के अंतर्गत श्रावण मास चल रहा है। श्रावण मास में विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना की जाती है। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार का अत्यधिक महत्व माना जाता है, इसी कारणवश श्रावण के सोमवार को भक्तगण उपवास रखते हैं और भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं।
श्रावण मास का तीसरा सोमवार तिथि 20 जुलाई 2020 को है इस दिन सोमवती अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। अमावस्या के सोमवार के दिन आने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह एक शुभ संयोग है कि सोमवती अमावस्या श्रावण के महीने में आ रही है। श्रावण के महीने में चारों तरफ हरियाली दिखाई देती है इसी कारणवश सोमवती अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली अमावस्या की सोमवार को आने का शुभ संयोग 20 साल के बाद आ रहा है। इससे पहले यह शुभ संयोग वर्ष 2000 में था।
हरियाली अमावस्या श्रावण मास में मनाए जाने वाले विशेष पर्व हरियाली तीज से 3 दिन पहले आती है। हरियाली अमावस्या के दिन उत्तर भारत में भक्तगण मंदिरों में भगवान कृष्ण के दर्शन तथा पूजा अर्चना का लाभ उठाते हैं। मथुरा, वृंदावन तथा गुजरात में भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाकर उनकी पूजा आराधना करते हैं।
1. #भोलेनाथ की पूजा के साथ - साथ पितरों की शांति के लिए दर्पण और दान: सोमवती अमावस्या के दिन पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। यह दिन केवल भगवान भोलेनाथ को समर्पित ही नहीं है, बल्कि इस दिन पितरों की शांति के लिए दर्पण और दान करने का भी विशेष महत्व माना गया है। सोमवती अमावस्या के दिन ग्रहों की शांति के साथ साथ यदि पितरों की शांति के लिए भी तर्पण दान आदि कर्म किए जाएं तो उससे कई प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
2. #वर की प्राप्ति के लिए पूजा: हरियाली अमावस्या के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की पूजा करने से कुंवारी कन्या को योग्य वर की प्राप्ति होती है।
3. #सुखी विवाहित जीवन के लिए: यदि कोई विवाहित स्त्री इस दिन व्रत रखकर मां पार्वती की पूजा करें। तो उसका विवाहित जीवन अत्यंत सुखमय होता है।
4. #कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी पूजा: इस अमावस्या के दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी पूजा अर्चना करना अत्यंत लाभकारी है।
सोमवती अमावस्या के दिन प्रातकाल नित्य कर्म आदि से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय गंगा जल का प्रयोग अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना गया है अतः अपने स्नान के जल में कुछ मात्रा में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके पश्चात पितरों का तर्पण करना चाहिए। पितरों के तर्पण करने के उपरांत पूजा आदि से निवृत्त होकर सोमवती अमावस्या का उपवास प्रारंभ करें।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। सोमवती अमावस्या के श्रावण मास में आने के कारण इस दिन वृक्षारोपण करना भी विशेष रूप से लाभकारी है। ऐसा करने पर आपको प्रकृति की विशेष कृपा प्राप्त होगी पीपल के साथ साथ बरगद, केला, नींबू और तुलसी के पौधे लगाना अच्छा माना जाता है।
पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करने के साथ-साथ तुलसी के पौधे की परिक्रमा करना विशेष रूप से लाभकारी है।
वृक्षारोपण किसी भी मंदिर या सार्वजनिक स्थान पर किया जा सकता है। उपरोक्त वृक्षों के अतिरिक्त किसी भी अन्य छायादार फल या फलदार वृक्षों को लगाया जा सकता है। वृक्षारोपण करते समय यह भी संकल्प करना चाहिए कि आप उस पौधे का बड़े होने तक विशेष रुप से ध्यान रखेंगे।
सोमवती अमावस्या पर कुछ विशेष प्रकार के उपाय करने से आप विभिन्न प्रकार के कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं:---
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