अधिक मास 2020

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  • 15th Sep 2020

अधिक मास 2020

अधिक मास/ पुरुषोत्तम मास /मल मास 2020: भारतवर्ष में प्रतिवर्ष पितृ पक्ष/ श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अगले दिन से शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाते हैं। परंतु इस वर्ष 2020 में ऐसा नहीं है इसका कारण है पितृपक्ष और शारदीय नवरात्र के मध्य अधिक मास का आ जाना। हर 3 वर्ष के बाद 1 चंद्रमास अतिरिक्त हो जाता है।

अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह अधिक मास पितृपक्ष अमावस्या के अगले दिन अर्थ 18 सितंबर शुक्रवार से आरंभ होकर 16 अक्टूबर शुक्रवार तक रहेगा। इसके अगले दिन से अर्थात 17 अक्टूबर शनिवार से शारदीय नवरात्र प्रारंभ होंगे।

 

क्या है अधिक मास?

एक चंद्र वर्ष की अवधि 354 दिनों की मानी जाती है। जबकि एक सूर्य वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे का माना जाता है। इस प्रकार चंद्र वर्ष और सूर्य वर्ष के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है यह अंतर हर 3 वर्ष में लगभग 1 चंद्रमास अतिरिक्त हो जाता है।

अतिरिक्त (अधिक)  होने के कारण ही इसे अधिक मास कहते हैं।

 

कैसे पड़ा पुरुषोत्तम मास नाम?

मान्यता है कि जब हर चंद्रमास के लिए एक देवता निर्धारित किए जा रहे थे तो सभी देवी देवताओं ने अधिक मास को अपनाने से इंकार कर दिया था। क्योंकि इस मास में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य नहीं होता। तब भगवान विष्णु ने अधिक मास को अपनाया और इसे अपना ही एक नाम 'पुरुषोत्तम' मास दिया।

अधिक मास के महत्व के विषय में एक और बात प्रसिद्ध है। कहते हैं कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक दैत्य का वध भी भगवान विष्णु ने इसी अधिक मास में नरसिंह अवतार के रूप में किया था। इसी कारणवश भी अधिक मास का नाम पुरुषोत्तम मास पड़ गया। 

 

क्यों कहते हैं अधिक मास को मलमास?

अधिक मास में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं।  इस पूरे माह में सूर्य संक्रांति नहीं आती इसी कारणवश यह महीना मलिन माना जाता है।  मलिन होने के कारण ही इसे मलमास भी कहते हैं। 

 

क्या करें और क्या ना करें अधिक मास में?

क्या ना करें? -- अधिक मास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, नामकरण, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश आदि नहीं करने चाहिए इसके अतिरिक्त नए वाहन की खरीदी भी नहीं करनी चाहिए।

क्या करना चाहिए? -- पुरुषोत्तम मास में शुभ कार्यों के अतिरिक्त अन्य सभी धार्मिक कार्य जैसे यज्ञ हवन आदि करना अच्छा माना जाता है इसके अतिरिक्त भगवान विष्णु से संबंधित पूजा-पाठ जैसे श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, श्रीमद् देवी भागवत, श्री विष्णु सहस्त्रनाम आदि को पढ़ना सुनना विशेष रूप से फलदाई होता है।

अधिक मास में विष्णु मंत्रों का जाप करने वाले भक्तों के समस्त पापों का भगवान विष्णु स्वयं नाश करते हैं, तथा उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

 

इस बार 4 महीने की बजाय 5 महीने का है चातुर्मास

चातुर्मास हमेशा 4 महीनों का होता है परंतु अधिक मास आने के कारण इस बार चातुर्मास 5 महीने का है।

पंचांग के अनुसार इस साल चातुर्मास में दो आश्विन मास होंगे आश्विन माह कृष्ण पक्ष एकम 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक लगभग 2 माह रहेगा। इन 2 माह में बीच की अवधि वाला एक माह का समय अधिक मास रहेगा।

 इसी कारणवश सर्वपितृ अमावस्या और नवरात्रि के बीच पूरे 1 माह का अंतर होगा

 

अधिक मास में करें इन वस्तुओं का दान

अधिक मास कृष्ण पक्ष का दान- अधिक मास में कृष्ण पक्ष में यदि कुछ विशेष वस्तुओं का दान किया जाए तो अत्यंत लाभकारी होता है। जैसे शंख ,मोती या मोती की माला ,कच्चे चने ,कपूर-केवड़े की अगरबत्ती, घी से भरा हुआ चांदी का दीपक, सोने या कांस्य का बर्तन या पात्र, गुड़, तुवर दाल, हीरा या पन्ना, लाल चंदन, केसर, कस्तूरी आदि।

अधिक मास शुक्ल पक्ष का दान-- दूध, दही, घी, खीर भरा हुआ पात्र, चावल, मालपुआ, सूती रेशमी या ऊनी वस्त्र, कच्ची खिचड़ी, शहद या शक्कर, चांदी का नंदीगण, तांबे का बर्तन आदि

शारदीय नवरात्रि प्रारंभ-- इस साल शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर 2020 शनिवार से प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर तक होंगे। 25 अक्टूबर रविवार के दिन दशहरा/ विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाएगा।

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