काल सर्प योग

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काल सर्प योग

यह पूर्ण रूप से सत्य है, की किसी भी प्राचीन ज्योतिष ग्रंथ में काल सर्प योग का उल्लेख नहीं किया गया है। कालसर्प योग का प्रयोग लौकिक ज्योतिष में होता है, ना की अकाशीय ज्योतिष में।

 

क्या है काल सर्प दोष?

काल सर्प दोष का अर्थ - कॉल का अर्थ मृत्यु तथा सर्प का अर्थ सांप बताते हुए कॉल दोष की व्याख्या की गई है।

काल सर्प दोष सर्प दोष कुंडली में तभी माना जाता है, जब किसी जातक की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य में हो तथा राहु और केतु के साथ कोई ग्रह नहीं होना चाहिए। लेकिन हमें यहां राहु केतु की वक्री गति का ध्यान देते हुए, राहु केतु की डिग्री और ग्रह की डिग्री का ख्याल रखना चाहिए।

यदि राहु के साथ युति में, ग्रह की डिग्री राहु की डिग्री से कम है, तो यह योग नहीं बनेगा। इसी प्रकार यदि केतु के साथ स्थित ग्रह डिग्री केतु की डिग्री से अधिक है, तो कालसर्प दोष नहीं बनेगा।

 

कालसर्प दोष कुछ महत्वपूर्ण बातें

कालसर्प दोष का प्रभाव आजीवन माना जाता है, लेकिन कुछ ज्योतिष के मत के अनुसार जातक को कालसर्प दोष का प्रभाव 42 वर्ष की उम्र तक रहता है।

कालसर्प दोष का प्रभाव राहु और केतु की दशा में देखा जाता है।
यहां ज्योतिषियों काल सर्प दोष को लेकर मतभेद हैं। कुछ ज्योतिष कालसर्प योग जो सारे ग्रह राहु केतु के मध्य हो या इसके उलट केतु और राहु के मध्य मे है तो काल सर्प योग को मानते हैं।

 

क्या है आंशिक कालसर्प योग

आंशिक कालसर्प योग सभी कुंडलियों में पाया जाता है। यह निम्न 12 रूप मे कुंडली मे विधमान हो सकता है।

1.- अनंत कालसर्प योग:

अनंत कालसर्प योग जब राहुल लग्न में हो तथा सप्तम भाव में केतु हो तो अनंत कालसर्प योग बनता है। इस योग के कारण मनुष्य मानसिक रूप से अशांत रहता है। व्यक्ति चलाक अनैतिक विचारों वाला, दुष्प्रभाव, व्यभिचारी, झूठा, दूसरों के खिलाफ षड्यंत्र करने वाला, कोर्ट कचहरी अदालतों में उलझने वाला, अपमानित एवं दुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करता है।

अनंत कालसर्प योग | उपाय

आप काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचें दूध का दान करें चांदी के बर्तन में भोजन करें बिल्ली की जेर को लाल रंग के कपड़े में डालकर धारण करना और जेब में लोहे की साबुत गोलियां रखना भी आपके लिए लाभप्रद साबित होगा।

 

2.- कुलिक काल सर्प योग:

कुलिक काल सर्प योग जब राहु कुंडली में द्वितीय भाव में हो तथा केतु आठवें भाव में हो तो  कालसर्प दोष का निर्माण होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति आर्थिक परेशानी में रहता है। ऐसे अधिक खर्चा होता है, परिवार की लड़ाई झगड़ों में उलझा रहता है, घर में तनाव रहता है, एवं जीवनसाथी से तलाक भी हो सकता है।

कुलिक कालसर्प योग | उपाय

आप सोना केसर या पीली वस्तुएं धारण करें। चांदी की ठोस गोली अपनी जेब में रखें। कान का छेद करवाना आपके लिए अच्छा है। दो रंगा काला सफेद कंबल किसी धार्मिक स्थान में दान दें। हाथी के पांव की मिट्टी कुएं में डालें। चारित्रिक फिसलन से हर हालत में बचें।

 

3.- वासुकी काल सर्प दोष

वासुकी काल सर्प दोष जब राहु कुंडली में तृतीय भाव में हो और केतु कुंडली में नवम भाव में स्थित हो तो वासुकी कालसर्प दोष का निर्माण होता है। इस दोष के कारण भाई बहनों में झगड़ा, भूमि वाहन खरीदने में परेशानी, अपने कर्मचारियों से निरंतर परेशानी, जीवन में लगातार उतार-चढ़ाव, अदालती समस्याएं, आदि का सामना करना पड़ता है

वासुकी काल सर्प योग | उपाय

आप रात्रि में अपने सिरहाने अनाज रखें और प्रातः यही अनाज पक्षियों को खिला दें। सोने की अंगूठी या कोई भी अन्य आभूषण धारण करना आपके लिए लाभप्रद है। केसर का तिलक लगाना भी आपके लिए अच्छा है। अपनी चारपाई के पायो पर तांबे की कील लगवा ले। आपके लिए हाथी दांत की वस्तु अपने पास रखना पूरी तरह निषेध है।

 

4.- शंख पतन कालसर्प योग:

शंख पतन कालसर्प योग जब कुंडली में राहु चतुर्थ भाव में स्थित होता है एवं केतु दशम भाव में स्थित होता है तो शंख पतन सर्प दोष का योग बनता है। इस योग के कारण मां से संबंधों में परेशानी आर्थिक रूप से परेशानी, शिक्षा प्राप्ति में परेशानी, जीवन में उलटफेर, वाहन से पीड़ा, आदि का सामना करना पड़ता है।

शंखपाल कालसर्प योग | उपाय

आपके लिए चांदी की अंगूठी धारण करना लाभप्रद है। गंगा स्नान करें मकान की छत पर कोयला किसी भी हालत में ना रखें। चांदी के डिब्बे में शहद भरकर घर से बाहर सुनसान स्थान पर दबाना आपके लिए हितकर होगा। अधिक कष्ट की स्थिति में 400 ग्राम बदाम किसी नदी में प्रवाह करें।

 

5.- पदम कालसर्प योग:

पदम कालसर्प योग जब कुंडली में राहु पांचवें भाव में स्थित हो एवं  केतु एकादश भाव में स्थित हो तो पदम कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण व्यक्ति अपने संतान से दुखी, शत्रुओं से परेशानी, बंदी जीवन, रोग, मित्रों से धोखा, जुए में खेलने की आदत, शारीरिक चोट का भए आदि भी रहता है।

पद्म कालसर्प योग | उपाय

आपके लिए घर में गाय या कोई भी दुधारू पशु पालना लाभप्रद होगा। नित्य सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना भी आपके लिए अच्छा है। चांदी का छोटा सा ठोस हाथी अपने पास रखें। दहलीज बनाते समय जमीन के नीचे चांदी का पत्थर डालना आपके लिए लाभप्रद साबित होगा। इसके अतिरिक्त अपनी पत्नी के साथ समस्त रीति-रिवाजों से पुनः शादी करें। पराई स्त्री से हरसंभव दूर रहें।

 

6.- महापदम कालसर्प योग:

महापदम कालसर्प योग जब राहु कुंडली में छठे भाव में स्थित हो और केतु बारहवें भाव में स्थित हो तो महापदम कालसर्प योग बनता है। इस योग के परिणाम स्वरूप प्रणय संबंधों में असफलता प्राप्त होती है, चरित्र संदेहास्पद हो जाता है, पत्नी तथा अन्य प्रियजनों से अलगाव की स्थिति पैदा होती है, इस कारणवश हार्दिक दुख की प्राप्ति होती है, इसके साथ साथ व्यक्ति हमेशा अवसाद ग्रस्त रहता है, और शत्रु भी उसके मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करते हैं।

महापदम कालसर्प योग | उपाय

आप अपने चाल चलन पर पूरी तरह संयम बनाकर रखें। अपने भाई बहनों से प्रेम का व्यवहार रखना आपके लिए हितकर होगा। उनसे किसी भी तरह का झगड़ा ना करें। घर में पूरा काला कुत्ता पालना तथा काला चश्मा पहनना आपके लिए शुभ साबित होगा।

 

7.- तक्षक कालसर्प योग:

तक्षक कालसर्प योग जब राहु कुंडली में सप्तम भाव में स्थित हो और केतु लग्न में स्थित हो तब तक्षक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के फलस्वरूप व्यक्ति का विवाहित जीवन दुख पूर्ण होता है, वह व्यक्ति यौन रोगों से भी पीड़ित  होता है, शत्रु अनेक प्रकार का कष्ट उत्पन्न करते हैं, उधार दिए गए धन की पुनर्प्राप्ति मुश्किल होने के कारण हानि की संभावना रहती है, व्यापार में साझीदारी में भी हानियां होती हैं।

तक्षक कालसर्प योग | उपाय

विवाह के समय चांदी की ईंट अपनी पत्नी को देना आपके लिए लाभप्रद साबित होगा। इस ईंट को हमेशा अपने घर में रखें ध्यान रहे इस ईंट को बेचना आपके लिए विनाश का कारण बन सकता है। अपने घर में भूलकर भी कुत्ता ना पाले। चलते पानी में नारियल बहाना भी आपके लिए अच्छा है।


8.- कर्कटक कालसर्प योग:

कर्कटक कालसर्प योग जब राहु कुंडली के आठवें भाव में स्थित हो और केतु द्तीय भाव में स्थित हो तब कर्कटक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के निर्माण के कारण व्यक्ति किसी दीर्घकालीन रोग से ग्रस्त हो सकता है, उसे अचानक किसी शस्त्र से या विष दिए जाने के कारण अपार हानि या अकाल मृत्यु की प्राप्ति हो सकती है। इस योग से ग्रस्त व्यक्ति के भाग्य में अनेक प्रकार की बाधाएं आने के कारण अवनति होने की संभावना रहती है। उसे अपने पैतृक संपत्ति में भी किसी प्रकार का हिस्सा भी नहीं मिल पाता और मित्रों से भी हर प्रकार का धोखा और हानि मिलती है।

कर्कोटक कालसर्प योग | उपाय

आप अपने मस्तक पर तिलक लगाएं और सूखे मेवे किसी चांदी के बर्तन में भरकर किसी धार्मिक स्थान में दें। अपने जन्म के आठवें महीने से कुछ बादाम मंदिर या किसी धार्मिक स्थान में ले जाएं। आधे बादाम वही दे दे और बाकी अपने पास रखना आपके लिए हितकर होगा। भड़ भूजे की भट्टी में तांबे का पैसा डालना आपके लिए अच्छा है। चार नारियल नदी में बहाना आपके लिए लाभप्रद साबित होगा। ध्यान दें कि आप बेईमानी से किसी भी प्रकार का धन न कमाएं।


9.- शंखनाद कालसर्प योग:

शंखनाद कालसर्प योग जब राहु किसी व्यक्ति की कुंडली के नवम भाव में स्थित हो और केतु तृतीय भाव में हो तब शंखनाद कालसर्प योग बनता है। इस प्रकार का योग निरंतर दुर्भाग्य का कारण बनता है। इस योग से ग्रसित व्यक्ति को पिता से बहुत कम सुख प्राप्त होता है। अपने जीवन में किसी भी प्रकार के सुख की प्राप्ति के लिए उसे अत्याधिक संघर्ष करना पड़ता है। किसी प्रकार के दंड मिलने की भी संभावना रहती है।

शंखनाद कालसर्प योग | उपाय

आपके लिए पीले वस्त्र धारण करना और सोने के आभूषण धारण करना लाभप्रद होगा। इसके साथ ही केसर का तिलक लगाना भी उत्तम है। सुबह-सुबह पक्षियों को दाना पानी डालना भी आपके लिए अच्छा है।

 

10.- घातक कालसर्प योग

घातक कालसर्प योग जब राहु कुंडली के दसवां भाग में स्थित हो और केतु चतुर्थ भाव में स्थित हो तो पातक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के फल स्वरुप जातक के परिवार में दादा-दादी और माता-पिता की आकस्मिक मृत्यु की संभावना रहती है। संतान को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यापार में कई प्रकार की बाधाएं आती है। सफलता प्राप्ति के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

घातक कालसर्प योग | उपाय

आप मां सरस्वती का पूजन किया करें। आपके लिए सोने की माला पहनना तथा चांदी का छोटा चौकोर टुकड़ा अपनी जेब में रखना लाभप्रद है। इसके साथ ही हल्दी का तिलक अपने मस्तक पर लगाया करें। तथा अपने सिर को हमेशा साफा टोपी दुपट्टा आदि किसी भी चीज से हमेशा ढककर रखें मसूर की बिना छिलके वाली दाल नदी में प्रवाहित करने से आपको लाभ होगा।

 

11.- विषाक्त काल सर्प योग:

विषाक्त काल सर्प योग जब राहु कुंडली के ग्यारहवें भाव में स्थित हो और केतु पांचवें भाव में हो तो विषाक्ता कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस प्रकार के कालसर्प योग के परिणाम स्वरूप व्यक्ति हृदय रोग, नेत्र रोग, अनिद्रा रोग आदि से ग्रसित रहता है। आकस्मिक मृत्यु की भी संभावना होती है। उसे अपनी जन्मभूमि से कहीं दूर स्थान पर जाना पड़ सकता है। परिवार में बड़े भाई से मतभेद भी रहते हैं।

विषाक्त या विषधर कालसर्प योग | उपाय

आप सोने की अंगूठी धारण करें। तथा चांदी के गिलास में पानी पिया करें, परंतु रात में दूध ना पीना ही आपके लिए अच्छा है। इसके साथ ही किसी भी प्रकार का अस्त्र अपने घर में ना रखें और ना ही तांबे या लाल वस्तु का दान किसी को करें। परंतु मंदिर में किसी अन्य चीज का दान करना आपके लिए अच्छा साबित होगा। चार नारियल को जल में प्रवाहित करना आपके कष्टों में कमी लाएगा।

 

12.- शेषनाग कालसर्प योग:

शेषनाग कालसर्प योग जब राहु किसी व्यक्ति की कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो और केतु छठे भाव में स्थित हो तब शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के फल स्वरुप व्यक्ति का पूरा जीवन बदनामी से भरा होता है। आंखों की बीमारी से वह व्यक्ति ग्रसित रहता है। उस व्यक्ति कि अपने शत्रुओं से झगड़ों में हार होने की संभावना अत्याधिक रहती है।

शेषनाग कालसर्प योग | उपाय

आपके लिए सरस्वती माता की पूजा नीले रंग के फूलों से करना बहुत अच्छा है। चांदी का ठोस हाथी अपने घर में रखें तथा सोने की माला धारण करें| किसी धार्मिक स्थान में तांबे के बर्तन दान में दें| इसके अतिरिक्त बहन को किसी भी प्रकार का उपहार तथा किसी गरीब को लाल मसूर की दाल का दान करना भी आपके लिए लाभप्रद साबित होगा।


काल सर्प दोष के परिणाम

काल सर्प दोष के निम्न परिणाम हो सकते है।

  1. यदि जातक कालसर्प दोष से ग्रसित है तो उसे अपने अपने लक्ष्य को पाने के लिए सामान्य से बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
  2. जातक शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से निर्बल रहता है।
  3. जातक के विवाह में विलंब वा रुकावट होती है।
  4. जातक विवाह के बाद दुखी महसूस करता है।
  5. जातक को संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है या संतान सुख में कमी रहती है।
  6. जातक कालसर्प दोष के कारण आर्थिक परेशानी का सामना करता है।
  7. व्यक्ति का आरंभिक जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहता है।
  8. व्यक्ति को सपनों में अक्सर सांप दिखाई देते हैं जातक को अपने जीवन में कई बीमारियों सामना करना पड़ता है।
  9. काल सर्प दोष के कारण गर्भवती स्त्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
  10. कालसर्प होने की दशा में पूर्ण विधि विधान से पूजा करें आप राहु केतु की शांति हेतु बताए गए रतन भी धारण कर सकते हैं।

 

कालसर्प दोष निवारण मंत्र

जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग होता है, वह व्यक्ति उसे प्राप्त कष्टों और पापों को नष्ट करने के लिए तथा अपने पुण्य के उदय के लिए कालसर्प यंत्र की पूजा उपासना करें, तो ऐसा करने से उसे लाभ प्राप्त होता है। कालसर्प योग से पीड़ित जातक इस यंत्र को अपने घर व्यावसायिक स्थल या अपने आसपास कहीं भी स्थापित करें, तो उसके लिए उत्तम है। ऐसा करने से वह व्यक्ति मानसिक, शारीरिक, तथा आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होने लगता है। कालसर्प दोष निवारण मंत्र के सम्मुख नित्य पारद माला पर रुद्राष्टक राहु कवचम या राहु स्त्रोत तम या केतु कवचम का पाठ करना, कालसर्प दोष का निवारण करता है। तथा व्यक्ति को मानसिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है। निम्नलिखित मंत्र की नित्य कम से कम एक पारद माला का जाप करना बहुत सुखदाई है।

राहू मंत्र:

ओम सर्पेभ्यो नमः

ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:

। ऊँ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्। राहु के लिए इस मंत्र का जाप रात के समय करना चाहिए

केतु मंत्र

“ऊँ धूम्रवर्णाय विद्महे कपोतवाहनाय धीमहि तन्नं: केतु: प्रचोदयात।”

 

कालसर्प दोष शांति के उपाय

कालसर्प दोष शांति के निम्न उपाय है :

  1. प्रतिदिन ओम नमः शिवाय की 21 माला का जाप करना चाहिए।
  2. नाग पंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए।
  3. शिव जी का रुद्राभिषेक करना चाहिये।
  4. घर के पूजा स्थल में कालसर्प योग यंत्र स्थापित कर इस यंत्र की नित्य पूजा करना भी अच्छा है।
  5. कालसर्प योग का यंत्र बनाकर उसकी सरसों के तेल के दीपक जला कर पूजा करनी चाहिए।
  6. प्रतिदिन विष्णु भगवान के मंदिर में जाकर विष्णु जी की पूजा करना अत्यंत लाभकारी है।
  7. श्रावण मास में सोमवार के दिन शिव जी का रुद्राभिषेक करना इन जातकों के लिए लाभकारी है।
  8. चांदी या गोमेद से बनी नाग की आकृति की अंगूठी धारण करना चाहिए।
  9. घर के मुख्य दरवाजे पर चांदी के धातु से बना हुआ एक स्वास्तिक लटकाना आपके लिए लाभकारी है।
  10. शनिवार के दिन कोयला बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
  11. सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दिन सतनाजा से तुला दान करना भी कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करता है।
  12. चांदी से नाग नागिन का जोड़ा बनवा कर तांबे के लोटे में डाल कर बहते पानी में प्रवाहित करना भी अत्यंत लाभकारी है।
  13. सूर्य चंद्र ग्रहण के दिन सतनाजा से तुला दान करना आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
  14. राहु मंत्र ॐ रा राहवे नमः का 72 हजार जप करने से कालसर्प योग शांत होता है।
  15. राहु माता सरस्वती एवं केतु श्री गणेश जी की पूजा से भी प्रसन्न होता है।
  16. प्रतीक पुष्य नक्षत्र में शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं तथा रुद्र का जप एवं अभिषेक करें।
  17. राहु केतु की वस्तुओं का दान करना आपके लिए अच्छा है।
  18. हर सोमवार को दही से महादेव का ओम हर हर महादेव कहते हुए अभिषेक करें तथा शिव मंदिर में चांदी के नाग की पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है।
  19.  पारद के शिवलिंग बनवा कर घर में प्राण प्रतिष्ठित करवाने से आपको लाभ होगा।
  20. श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
  21. सवा महीने देवदारू, सरसों तथा लोहवान इन तीनों को जल में उबालकर उस जल से स्नान करना आपके लिए अच्छा है।
  22. हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करना और मंगलवार के दिन हनुमान जी की मूर्ति पर लाल वस्त्र सिंदूर चमेली का तेल व बताशा चढ़ाना कालसर्प दोष का निवारण करता है।
  23. ग्यारह शनिवार तक पीपल के नीचे स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाना और मंत्र जाप करना आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।