विजया एकादशी
विजया एकादशी: हिंदू धर्म में एकादशी एक महत्वपूर्ण तिथि है। क्योंकि एकादशी व्रत सभी व्रतों में सबसे प्राचीन माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार महादेव शिव ने ब्रह्म ऋषि नारद जी को बताया था, की एकादशी महा पुण्य देने वाली होती है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत श्रद्धा पूर्वक व विधि विधान से करने वाले भक्तों को हर कार्य में सफलता प्रदान होती है। तथा उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
सभी एकादशी ओं में से एक विजया एकादशी का धार्मिक रूप से बहुत महत्व है कहते हैं कि जो मनुष्य श्रद्धा पूर्वक विजया एकादशी का व्रत रखता है, उसके पितृ तथा पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक जाते हैं। इसके साथ-साथ उसे पूर्व जन्म से लेकर इस जन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है।
कहा जाता है कि त्रेता युग में लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने भी विजया एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया था। इसके प्रभाव से समुद्र ने प्रभु श्री राम को मार्ग प्रदान किया। कहते हैं विजया एकादशी व्रत के फलस्वरूप ही श्री राम जी ने रावण पर विजय प्राप्त की तभी से इस तिथि को विजय एकादशी के नाम से जाना जाता है।
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ 8.03.2021 (सोमवार) दोपहर 3:44 बजे से
विजया एकादशी 9.3.2021 (मंगलवार)
एकादशी तिथि समाप्त 9.3.2021 मंगलवार दोपहर 3:02 बजे
व्रत पारण शुभ मुहूर्त 10.3.2021 बुधवार 6:36 बजे से 8:58 बजे तक
विजया एकादशी : पूजन विधि
विजया एकादशी : क्या करें?
- सबसे पहले एकादशी के दिन प्रातः काल उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर एकादशी व्रत का संकल्प लें।
- एकादशी की पूजा करने से पहले पूजा स्थल पर वेदी बनाएं तथा उस वेदी पर सात प्रकार के अनाज रखें।
- इसके पश्चात पूजा कलश की स्थापना करें कलश के ऊपर पांच पत्ते अशोक या आम के रखें।
- पूजा की वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को लक्ष्मी माता के साथ स्थापित करें।
- इसके पश्चात भगवान विष्णु को पीले फूल पांच प्रकार के ऋतु फल भोग आदि अर्पित करें भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल करना चाहिए।
- इसके पश्चात भगवान विष्णु की माता लक्ष्मी के साथ श्रद्धा पूर्वक आराधना तथा स्तुति करनी चाहिए।
- शाम के समय भगवान विष्णु की धूप दीप के साथ आरती करनी चाहिए और इसके उपरांत ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।
- हो सके तो एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए, बल्कि रात्रि जागरण भगवान के भजन कीर्तन करते हुए करना चाहिए।
- एकादशी के अगले दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर उचित दान दक्षिणा वस्त्र आदि देकर विदा करना चाहिए। इसके पश्चात भक्त को स्वयं भी भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करना चाहिए।
विजया एकादशी : क्या ना करें?
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए तथा शाम को सोना नहीं चाहिए।
- एकादशी व्रत के दिन भक्तों को ना तो क्रोध करना चाहिए, और ना ही झूठ बोलना चाहिए, बल्कि हर प्रकार से संयम बरतना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रत करते समय जुआ खेलना वर्जित माना गया है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने पर व्यक्ति के वंश का नाश होता है।
- एकादशी व्रत करते समय इस दिन किसी भी प्रकार की चोरी नहीं करनी चाहिए नहीं तो व्यक्ति को सात जन्मो तक पाप का भागी बनना पड़ता है।
मिलेगी कर्ज से मुक्ति, करें निम्नलिखित उपाय
- विजया एकादशी के दिन शाम के समय भगवान विष्णु की आराधना करने के साथ-साथ उनकी पत्नी लक्ष्मी माता की भी आराधना अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने पर मां लक्ष्मी की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है तथा हर प्रकार के कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। अतः एकादशी के दिन संध्या समय पीपल के पेड़ के समक्ष दीया जलाएं तथा पीपल देवता को कर्ज से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करें।
- एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र फल आदि अर्पित करें। तथा पीले रंग के वस्त्र एवं भोजन आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। तथा हर प्रकार के कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- गाय के घी का दीपक एकादशी की शाम को तुलसी के समक्ष जलाने से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।
क्यों नहीं खाने चाहिए जौ तथा चावल एकादशी के दिन?
- पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन ही माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए ऋषि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया तथा वे जौ तथा चावल के रूप में उत्पन्न हुए।
- ऐसी मान्यता है की एकादशी के दिन चावल तथा जौ खाना महर्षि मेधा का मांस तथा रक्त खाने के समान है ऐसा करने वाला व्यक्ति पाप का भागी होता है। इसलिए एकादशी के दिन चावल तथा जो नहीं खाने चाहिए।
- एकादशी के दिन सदैव पवित्र तथा सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए तथा हर प्रकार का संयम बरतना चाहिए।