शारदीय नवरात्र 2020

  • Home    >
  • शारदीय नवरात्र 2020
  • 16th Oct 2020

शारदीय नवरात्र 2020

शारदीय नवरात्र 2020: प्रतिवर्ष 4 बार नवरात्रि का त्यौहार आता है। इनमें से चैत्र और शारदिया नवरात्रि के अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्रि भी आते हैं।

 

शारदीय नवरात्रि का पर्व आश्विन मास में आने के कारण इस पर्व को अश्विन नवरात्रि भी कहते हैं।

 

नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है, ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त नवरात्रि के 9 दिनों में पूरे श्रद्धा भाव के साथ व्रत रखकर मां की पूजा अर्चना करते हैं, मां उन पर प्रसन्न होकर उनके सारे कष्ट दूर करती हैं। और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं।

 

नवरात्रि के व्रत से भक्त गणों को विद्या , बुद्धि ,यश ,बल, वैभव, धन ,राज्य ,संतान व मोक्ष जैसे नौ तत्वों की प्राप्ति होती है।

 

इस वर्ष 2020 में 16 अक्टूबर तक मलमास रहेगा और उसके अगले ही दिन अर्थात 17 अक्टूबर 2020 से मां दुर्गा के नौ दिनों के नवरात्रि प्रारंभ हो जाएंगे। नवरात्रि के साथ ही सभी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

 

नवरात्रि पर्व विश्व के कई देशों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो भारत में नवरात्रि का त्यौहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है फिर भी यह पर्व उत्तर भारत, गुजरात ,महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल आदि में विशेष तौर पर श्रद्धा पूर्वक पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

 

भक्तगण घटस्थापना करके पूरे 9 दिनों तक मां भगवती जगदंबा की आराधना करते हैं। इन 9 दिनों में मां की पूजा उनके अलग-अलग नौ रूपों में की जाती है।

 

इन नवरात्रों में बन रहा है तीन स्वार्थ सिद्धि योग का अनुपम संयोग।

इन नवरात्रि के दौरान तीन स्वार्थ सिद्धि योग का संयोग 18 अक्टूबर ,19 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को बन रहा है। इसके साथ ही एक त्रिपुष्कर योग भी 18 अक्टूबर बन रहा है।

नवरात्रि के दौरान गुरु एवं शनि स्वग्रही होने के कारण शुभ फल प्रदान करने वाले हैं।

 

पर्व है संयम पवित्रता और सभी नकारात्मक गुणों को त्यागने का

आज वातावरण में न केवल चारों और विभिन्न प्रकार के भौतिक प्रदूषण हैं बल्कि विचारों का प्रदूषण भी है। ऐसी स्थिति में नवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि नवरात्रि के दौरान हम पवित्रता बनाए रखकर विभिन्न प्रकार से अपनी इंद्रियों को संयमित रखते हैं। व्रत के दौरान हम कई चीजों से परहेज करते हैं और कई चीजों को अपनाते भी है। ऐसा तभी संभव है जब हम अपने ऊपर संयम बनाकर रखें व्रत उपवास पूर्ण श्रद्धा के साथ साथ पवित्र और शुद्ध भावना के साथ भी रखा जाता है। इसके परिणाम स्वरूप हम अपने भीतर एक नई ऊर्जा का अनुभव करते हैं। नवरात्रि हमें अपने सभी नकारात्मक गुणों को त्याग कर कुछ सकारात्मक तथा सब की भलाई के लिए करने वाले हमारे कार्यों को भी अवसर प्रदान करता है।

 

अपनी किसी एक बुराई को सच्चे मन से दूर करने का संकल्प लें। और मां दुर्गा से प्रार्थना करें कि इस कार्य को पूरा करने में उनका आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे।

प्रतिदिन एक ऐसा कार्य तो अवश्य ही करने का प्रयास करें जो किसी भी गरीब और जरूरतमंद के लिए उपयोगी हो।

 

  • कोई भी एक वृक्ष या पौधा किसी सार्वजनिक स्थान पर लगाने का प्रयास करें।
  • अपने घर व समाज की सभी स्त्रियों के लिए सम्मान व आदर का भाव रखें।
  • मां दुर्गा को अर्पित किए गए भोग का केवल एक छोटा भाग अपने लिए रख कर बाकी भोग सामग्री गाय तथा किसी जरूरतमंद को दें।
  • समाज में किसी भी प्रकार की बुराई व अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास अवश्य करें।

इन सभी कार्यों को यदि हम अपना स्वार्थ छोड़कर परोपकार की भावना से करेंगे तो निश्चय ही मां भगवती के कृपा पात्र बनेंगे

 

नवरात्रि के नौ रंग

 

नवरात्रि के 9 दिनों में भगवती दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरूप है---- शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा ,कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी ,कालरात्रि ,महागौरी और सिद्धिदात्री

ऐसी मान्यता है कि यदि मां के इन स्वरूपों की आराधना में इन 9 रंगों का क्रम अनुसार प्रत्येक नवरात्रि में प्रयोग किया जाए तो विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है

 

नवरात्रि के रंगों का क्रम इस प्रकार है--

प्रतिपदा - पीला

द्तीया-  हरा

तृतीया -  स्लेटी या धूसर

चतुर्थी  -  नारंगी

पंचमी  -   सफेद या श्वेत

 षष्टि    -    लाल

 सप्तमी - शाही नीला

अष्टमी  - गुलाबी

नवमी   - बैंगनी या जामुनी

नवरात्रि में भक्तगण प्रत्येक दिन के रंग के अनुसार वस्त्र धारण करें  तो अति उत्तम होगा।

 

नवरात्रि पूजन विधि

  • प्रातकाल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • मां की प्रतिमा को लाल वस्त्र, चुनरी आदि पहनाएं और मां का श्रृंगार करें।
  • शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
  • कलश को गंगाजल से भर ले तथा लाल कपड़े से ढककर कलावे से बांध दें इसके पश्चात कलश के मुख पर आम की पत्तियां रखें तथा नारियल इन पत्तियों के ऊपर रख दें।
  • इसके साथ ही मिट्टी का बर्तन रखकर उसमें जौ बो दें तथा उन पर अष्टमी/नवमी तक पानी का छिड़काव करे।
  • मां के समक्ष जोत जगा कर , कपूर, धूप, अगरबत्ती, तथा भोग सामग्री रखकर मंत्रों पचार से पूजा करें।

 

प्रत्येक नवरात्रि को मां दुर्गा के स्वरूप से संबंधित मंत्र का जाप करें दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है।

 

अष्टमी /नवमी को कन्या पूजन करें जिसमें कन्याओं को विभिन्न प्रकार की भोजन सामग्री जैसे हलवा, पूरी, चने, खीर,  मिठाई आदि खिलाएं तथा उन्हें विभिन्न उपहार आदि देकर विदा करें।

 

शारदीय नवरात्रि 2020

 

17 अक्टूबर 2020 शनिवार मां शैलपुत्री पूजा

18 अक्टूबर 2020 रविवार मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर 2020 सोमवार मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर 2020 मंगलवार मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर 2020 बुधवार मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर 2020 वीरवार मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर 2020 शुक्रवार मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर 2020 शनिवार मां महागौरी पूजा

25 अक्टूबर 2020 रविवार मां सिद्धिदात्री पूजा, विजयादशमी और दशहरा पर्व

नवमी और दशमी एक ही दिन

इस बार नवमी और दशमी दोनों एक ही दिन मनाई जाएगी 25 अक्टूबर 2020 रविवार को प्रातः 11:14 बजे तक नवमी मनाई जाएगी। उसके बाद विजयादशमी मनाई जाएगी शाम को दशहरे का त्यौहार मनाया जाएगा

 

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

 

शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर 2020 शनिवार-- प्रातः 8:16 से 10:31 तक रहेगा।

 

इसके अतिरिक्त निम्न मुहूर्तो में भी कलश स्थापना की जा सकती है।

 

अभिजीत मुहूर्त -- प्रातः 11:36 से 12:24 तक

स्थिर लग्न -- दोपहर 2:24 से 3:59 तक तथा

शाम -- 7:13 से 9:12 तक

 

क्या ना करें नवरात्रि पूजा में

 

  • पुराने सूखे पुष्पा या पुष्पों की माला को प्रतिमा अथवा मंदिर से हटाकर प्रतिदिन ताजे पुष्प अर्पित करने चाहिए। पुराने पुष्पों को कूड़ेदान में ना डाल कर किसी नदी या कुएं में प्रवाहित करें। गमले या बगिया की मिट्टी में दबाना वातावरण प्रदूषण से बचाव के लिए उत्तम उपाय हैं।

 

  • दुर्गा पूजा में दूर्वा, तुलसी और आंवले का प्रयोग वर्जित है।

 

  • गीले वस्त्रों में भी मां की पूजा नहीं करनी चाहिए।

 

  • महिलाएं खुले बालों के साथ दुर्गा पूजन ना करें।

 

  • सूतक में घट स्थापना व मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित माना गया है। ऐसी स्थिति होने पर किसी योग्य पंडित से पूजन करवाना ही अच्छा है।

इस लेख को शेयर करना ना भूले। आप सब को नवरात्रों की बहुत- बहुत शुभ कामनाऐ।

Vastu के बारे मे जानने के लिए क्लिक करे Vastu Shastra 

 

 

 

 

  • Share :