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हर साल मकर संक्रांति का त्यौहार लोहड़ी के त्यौहार के अगले दिन 14 जनवरी को मनाया जाता है। परंतु इस बार इसे लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि यह त्यौहार 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को? इस साल यह त्यौहार 14 जनवरी की बजाय 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा क्योंकि इस साल सूर्य देव 14 और 15 जनवरी की मध्य रात्रि 2:54 पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अतः 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति का त्योहार मनाना श्रेष्ठ है।
जब सूर्य या कोई भी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति पर्व भगवान सूर्य से जुड़ा है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव से पहले की नाराजगी भुलाकर उनके घर गए थे। मकर संक्रांति भगवान सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का संधि काल है। सूर्य के उत्तरायण काल से ही विभिन्न प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
सूर्य के उत्तरायण होने का सभी राशियों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तरायण सूर्य आराधना मात्र से ही कुंडली में ग्रहों की हर प्रकार की प्रतिकूलता समाप्त हो जाती है।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहने के साथ-साथ नवग्रहों का स्वामी भी माना जाता है। साल में सूर्य अपनी नियमित गति से विभिन्न 12 राशियों में गोचर करते हैं। इस प्रकार राशि परिवर्तन करने के कारण साल में 12 संक्रांति तिथियां पड़ती है। इन सभी में मकर संक्रांति अति महत्वपूर्ण है।
कहते हैं इस दिन से ही सूर्य के उत्तरायण होने के कारण सर्दी में कमी आने लगती है। इसके साथ ही बसंत ऋतु का आगमन भी प्रारंभ हो जाता है। दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं महाभारत के अनुसार इसी शुभ दिन भीष्म पितामह ने अपनी देह का त्याग किया था।
मकर संक्रांति पर वैसे तो पूरा दिन ही पूजा पाठ स्नान दान इत्यादि का विशेष महत्व है। फिर भी यदि स्नान दान आदि का कार्य विशेष शुभ मुहूर्त में किया जाए तो अत्यंत फलदाई होता है।
शुभ मुहूर्त: 15 जनवरी 2024 सोमवार
पुण्य काल:सुबह : 7:15 से शाम 6:21 तक
महा पुण्य काल: सुबह 6:57 से सुबह 8:45 तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:54 से दोपहर 12:37 तक
मकर संक्रांति: क्या करें/ क्या ना करें?
क्या करें मकर संक्रांति पर?
स्नान: इस दिन तीर्थराज प्रयाग और गंगासागर में स्नान को महा स्नान कहा गया है। इसके अतिरिक्त किसी भी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना पुण्य कार्य माना जाता है। ऐसा संभव ना होने पर घर में ही प्रातः स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
पूजा-पाठ: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा आराधना आदि करने का शुभ फल प्राप्त होता है। आदित्य हृदय स्त्रोत्र, पुरुष सूक्त, नारायण कवच आदि का पाठ करना मकर संक्रांति पर अति उत्तम है।
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मकर संक्रांति: क्या दान करे :
मकर संक्रांति: क्या ना करें?
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